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वक्त, दोस्ती और एक अधूरा पछतावा

वक्त, दोस्ती और एक अधूरा पछतावा

राहुल और अमित बचपन के दोस्त थे। एक ही स्कूल, एक ही बेंच, एक-दूसरे के बिना दिन अधूरा लगता था।

वक्त बदला, ज़िंदगी तेज़ हो गई। काम, पैसा और अहंकार बीच में आ गया। एक छोटी-सी गलतफहमी ने इतनी बड़ी दीवार खड़ी कर दी कि दोनों ने बात करना ही बंद कर दिया।

सालों बाद राहुल ने सब कुछ पा लिया — अच्छी नौकरी, गाड़ी, घर।

लेकिन एक दिन अचानक खबर मिली… अमित अब इस दुनिया में नहीं रहा।

राहुल उस खाली बेंच पर बैठा रहा, जहाँ कभी दोनों घंटों हँसते थे।

उसके पास अब सब कुछ था, सिवाय उस रिश्ते के… और उस भरोसे के, जो वक्त के साथ खो गया।

तब उसे समझ आया —

जिंदगी में सब कुछ दोबारा मिल सकता है,
लेकिन वक्त के साथ खोया हुआ रिश्ता और भरोसा दोबारा नहीं मिलता।

सीख

इसलिए जब तक मौका है, अपनों को थाम लो…
क्योंकि पछतावा हमेशा देर से आता है।

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