परतावल बाजार (महराजगंज, पनियरा क्षेत्र):
सरकारी नारे और पोस्टरों में जो तस्वीर दिखती है, उसकी असलियत परतावल के सरकारी अस्पताल में साफ़ झलकती है। मरीजों का कहना है कि यहाँ इलाज के बदले जर्जर इमारत और बदइंतजामी मिलती है।
🏚️ अस्पताल की हालत – इलाज से ज्यादा भूतहा हवेली जैसा माहौल
- दीवारों पर सीलन और काई की परत, कई जगह पेंट उतर चुका है।
- खिड़कियाँ टूटी और दरवाज़ों के ताले जर्जर हालत में हैं।
- वेटिंग एरिया में मरीजों के बैठने की कोई व्यवस्थित व्यवस्था नहीं।
- रोज़मर्रा की दवाइयां उपलब्ध नहीं, और डॉक्टर भी हर समय मौजूद नहीं रहते।
🚑 मरीजों की मजबूरी – "इलाज नहीं, पार्किंग मिलती है"
"बिटवा, अस्पताल में दवाई से ज्यादा मच्छर मिलते हैं।" — एक स्थानीय बुज़ुर्ग
ग्रामीण बताते हैं कि इलाज के लिए आने पर अक्सर डॉक्टर नहीं मिलते और दवाइयों की कमी के कारण उन्हें निजी क्लीनिक की ओर जाना पड़ता है। वहाँ इलाज महँगा पड़ता है। कई बार लोग इलाज के लिए लंबी दूरी तय करके दूसरे तालुका के अस्पताल जाते हैं।
📢 जनता की आवाज़ — सरकार कब जागेगी?
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से बार-बार शिकायतें दर्ज कराई हैं, पर सुधार न के बराबर दिखा है। अगर जल्द कदम नहीं उठाये गए तो यह स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह खंडहर में बदल सकता है।
⚖️ सुरक्षित रिपोर्टिंग
यह खबर स्थानीय लोगों के बयानों और स्थल निरीक्षण पर आधारित है। किसी व्यक्ति विशेष का नाम लिए बिना अस्पताल की स्थिति पर सवाल उठाये गये हैं, ताकि रिपोर्टिंग सुरक्षित और तथ्यपरक बनी रहे।
