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GST सुधार या आंखों का धोखा? ज़मीनी हकीकत पर उठे गंभीर सवाल

GST सुधार या आंखों का धोखा? ज़मीनी हकीकत पर उठे गंभीर सवाल

देश में GST सुधार को लेकर एक बार फिर बहस तेज़ हो गई है। सरकार द्वारा तैयार उत्पादों (Finished Goods) पर GST दर घटाने और कच्चे माल (Raw Material) पर टैक्स बढ़ाने को सुधार के तौर पर पेश किया जा रहा है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई इससे बिल्कुल अलग नज़र आ रही है।

विशेषज्ञों और व्यापार संगठनों का कहना है कि इस नीति से उपभोक्ताओं को कोई वास्तविक राहत नहीं मिली है। महंगाई लगातार बढ़ रही है और आम आदमी की जेब पर बोझ कम होने के बजाय और भारी होता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, कच्चे माल पर बढ़े GST के कारण छोटे और मझोले निर्माता लागत के दबाव में आ गए हैं।

व्यापारियों का आरोप है कि सरकार ने GST में तथाकथित राहत को सिर्फ़ एक “आंखों का धोखा” बनाकर पेश किया है। तैयार उत्पादों पर टैक्स घटाकर यह भ्रम रचा गया कि आम जनता को फायदा होगा, जबकि असल में उत्पादन लागत बढ़ने से वही बोझ अंततः उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है।

छोटे उद्योगों और स्थानीय व्यापारों के लिए यह स्थिति और भी चिंताजनक है। सीमित पूंजी और संसाधनों के साथ काम करने वाले छोटे कारोबारी न तो बढ़ी हुई लागत सहन कर पा रहे हैं और न ही बड़े ब्रांड्स की तरह कीमतें मैनेज कर पा रहे हैं। नतीजा—घाटा, बंद होती यूनिट्स और रोज़गार पर संकट।

आलोचकों का कहना है कि चमकदार प्रचार और आकर्षक पैकेजिंग के पीछे छिपी यह नीति असल में छोटे व्यापारों को कमजोर करने और बड़े कॉरपोरेट्स को अप्रत्यक्ष लाभ पहुंचाने का काम कर रही है।

GST सुधार वास्तव में किसके लिए है—उपभोक्ताओं के लिए या चुनिंदा उद्योगों के लिए—यह सवाल अब देशभर में चर्चा का विषय बन चुका है।

पूरा एक्सक्लूसिव विश्लेषण देखें:
https://youtu.be/Ua-cCEY7SRk

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