उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस भीषण शीतलहर के कारण मौसमी बीमारियों, खासकर सर्दी-जुकाम और खांसी के मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव बढ़ गया है।
- कड़ाके की ठंड से जनजीवन प्रभावित।
- अस्पतालों और क्लीनिकों में मरीजों की भीड़।
- सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार के मामले बढ़े।
- चिकित्सकों ने सतर्क रहने की सलाह दी।
- बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत।
पिछले कुछ दिनों से देश के उत्तरी हिस्सों में जारी कड़ाके की शीतलहर ने सामान्य जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट और दिनभर ठंडी हवाओं के चलने से लोग घरों में दुबकने को मजबूर हैं। इसी दौरान, मौसम के अचानक करवट लेने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ा है, जिसके चलते सर्दी, खांसी और वायरल बुखार जैसे मौसमी संक्रमण तेजी से फैल रहे हैं। अस्पतालों और निजी क्लीनिकों में इन बीमारियों से ग्रस्त मरीजों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बढ़ती ठंड और कोहरे के कारण वायरस अधिक समय तक सक्रिय रहते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। अस्पतालों में ओपीडी में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है, जिससे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। कई जगहों पर दवाओं की मांग में भी इजाफा हुआ है। चिकित्सकों ने लोगों को ठंडी हवाओं से बचने, गर्म कपड़े पहनने, पौष्टिक आहार लेने और पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन करने की सलाह दी है। विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों को भीड़भाड़ वाली जगहों से दूर रहने और नियमित रूप से हाथ धोने जैसे स्वच्छता उपायों का पालन करने की हिदायत दी गई है ताकि स्थिति और गंभीर न हो।