नई दिल्ली: भारत की आर्थिक और रणनीतिक क्षमता में लगातार विस्तार देखा जा रहा है। हाल के वर्षों में तेज आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे में निवेश, तकनीकी प्रगति और वैश्विक स्तर पर बढ़ती भूमिका के चलते भारत को भविष्य की बड़ी शक्तियों में गिना जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर विकास की दिशा में आगे बढ़ रही है। विनिर्माण, डिजिटल सेवाओं, स्टार्टअप और निर्यात क्षेत्रों में हो रहे सुधारों से देश की वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता मजबूत हुई है। साथ ही, रक्षा उत्पादन और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों में बढ़ोतरी से रणनीतिक स्थिति भी सुदृढ़ हो रही है।
हालांकि, चीन वर्तमान में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और कई क्षेत्रों में उसकी पकड़ मजबूत बनी हुई है। ऐसे में 2026 तक चीन को पूरी तरह पीछे छोड़ने को लेकर अलग-अलग आकलन सामने आ रहे हैं। कुछ विशेषज्ञ इसे दीर्घकालिक लक्ष्य मानते हैं, जबकि अन्य का कहना है कि भारत की प्रगति की गति आने वाले वर्षों में और स्पष्ट होगी।
कुल मिलाकर, भारत के सामने अवसर भी हैं और चुनौतियां भी। आर्थिक सुधारों की निरंतरता, रोजगार सृजन और वैश्विक परिस्थितियों के अनुरूप नीतियां तय करना आने वाले समय में अहम भूमिका निभाएगा। भारत का सुपर पावर बनने का सफर जारी है, लेकिन इसकी वास्तविक तस्वीर समय के साथ ही साफ होगी।